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कंगनों के चर्चे है न चूड़ियों के चर्चे है, सारे शहर में तेरे झुमकों के चर्चे है। ये तेरे होंठ है जैसे पंखुड़ियाँ गुलाब की और ग़ज़लों में मेरी तेरे लबों ...